बंगलौर सेंट्रल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे वी बालाकृष्णन अपने परिवार के साथ मुझे फ़ुटपाथ पर घूमते हुए मिल गए.
बदलाव की भूख
उनसे मेरा पहला सवाल यही था जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ''सबके जीवन में एक वक़्त ऐसा आता है जब लगता है कि कॉरपोरेट या आम जीवन में हमने वो सब पा लिया जो चाहते थें. फिर इच्छा होती है कि समाज के लिए कुछ करना चाहिए, जो कुछ भी मिला उसके लिए किसी तरह से धन्यवाद करना चाहिए. बीते दिसंबर मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, मुझे अब इससे आगे कुछ करना था. इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी और पार्टी में शामिल हो गया.''
अपने उम्मीदवारी पर्चे में उन्होंने अपनी संपत्ति क़रीब 190 करोड़ की बताई है. इस तरह वो कर्णाटक के तीसरे सबसे रईस उम्मीदवार भी बन गए हैं.
कॉरपोरेट जगत के अर्श से 'आम आदमी' बने बालाकृष्णन के लिए आम लोगों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाएं सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है.
उन्होंने कहा, ''बंगलौर में मूलभूत सुविधाएं ही पूरी नहीं होती है. बस्तियों में पीने लायक़ साफ़ पानी नहीं आता, सड़कें ख़राब है, बिजली की कमी है और बड़ी समस्या तो इस शहर में कचरा निस्तारण की है. हम जितने जगह गए, ज़्यादातर जगहों पर मूलभूत सुविधाओं की स्थिति ख़राब मिली.''
राजनीतिक अंदाज़ में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वि और मौजूदा भाजपा सांसद पीसी मोहन की भी खिंचाई की.
''बंगलौर सेंट्रल के लोग बीते पांच साल में अपने सांसद का चेहरा देखने के लिए तरस गए हैं. इस बार बदलाव की भूख साफ़ दिख रही है.''
ईमानदारी, मूलभूल सुविधाओं और बेदाग छवि के बल पर चुनाव लड़ रहे वी बालाकृष्णन के लिए सबसे बड़ी चुनौती ग़रीब वोटरों को अपने से जोड़ने की है, जो उन्हें ठीक से जानते भी नहीं हैं.
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