कांग्रेस पार्टी ने सभी मुख्यमंत्रियों को चेतावनी दे दी है कि वे अपने-अपने राज्य में अधिक से अधिक सीटें जीतने की कोशिश करें नहीं तो परिणाम आने के बाद उनकी छुट्टी हो सकती है.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक पिछले महीने ही उन्हें यह बात कह दी गई थी. कांग्रेस 11 राज्यों में सत्ता में है और उनके पास 151 लोक सभा सीटें हैं. तीन राज्यों में वह गठबंधन में भी है. उसका मुख्य मुकाबला बीजेपी से है जो पांच राज्यों में सत्ता पर काबिज है.
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक पिछले महीने सभी मुख्यमंत्रियों को यह कड़ा संदेश दिया गया है. अब वहां पार्टी के असंतुष्ट नेता उनकी कुर्सी के पीछे पड़े हुए हैं. उन्हें साफ शब्दों में कह दिया गया है कि पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर उनका भविष्य निर्भर करेगा. अब उन्हें पूरी ऊर्जा लगानी होगी. 16 मई को लोक सभा चुनाव के मतों की गिनती होगी. वह दिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, केरल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा.
अभी से पार्टी के असंतुष्ट नेता दिल्ली के दौरे कर रहे हैं और कुछ राज्यों में मुख्यमंत्रियों को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं.कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अब तक कहते आ रहे हैं कि कांग्रेस वहां 28 में से 20 सीटें जीतेगी. उनका यह बयान इस बात पर टिका हुआ था कि पिछले विधानसभा में पार्टी ने बीजेपी को बुरी तरह पछाड़ दिया था और 224 में से 122 सीटें जीत ली थीं. लेकिन अब पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के वापस बीजेपी में लौट जाने से परिस्थितियां बदल गई हैं.
महाराष्ट्र में पृथ्वी राज चव्हाण के लिए काफी मुश्किल परिस्थितियां हैं और वहां की 48 सीटों के लिए जबर्दस्त लड़ाई है. वहां कांग्रेस 1999 से सत्ता में है. पार्टी का वहां एनसीपी से समझौता है. इस बार इस गठबंधन को कड़ी टक्कर है. लोग सरकार की निष्क्रियता से नाराज हैं. इसका असर चुनाव पर पड़ सकता है. चव्हाण को कम से कम 17 सीटें जीतनी पड़ेंगी.
मोदी लहर पर सवार बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने वहां जबर्दस्त चुनौती पेश की है. कांग्रेस को उम्मीद है कि राज ठाकरे की पार्टी मनसे उनके खेल को खराब कर सकती है. 2009 में कांग्रेस ने मुंबई की सभी 6 सीटें जीती थीं. केरल में भी ओमन चंडी के लिए बहुत कठिन परिस्थितियां हैं. उनके प्रतिद्वंद्वी रमेश चेन्नीथला के वहां के गृह मंत्री बनाए जाने के बाद वहां उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है.
उत्तर भारत में हरियाणा के मुख्यमंत्री हुडा के लिए भी चुनौती बड़ी है. उनका भविष्य भी पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी काफी कुछ कर दिखाना होगा. उत्तराखंड में हरीश रावत पर ज्य़ादा खतरा नहीं है क्योंकि उन्हें मुख्य मंत्री बने हुए ज्यादा दिन नहीं हुए हैं.
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