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झूठा निकला मोदी के IITE के सफल प्रयोग का दावा

डी. पी. भट्टाचार्य, गांधीनगर
दावा किया गया है कि इस डिग्री के करिकुलम को 'राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों' ने तैयार किया है। यहां तक कि आईआईटीई के वाइस चांसलर भी डेडलाइन खत्म होने के बावजूद मौजूदा स्थिति को सुधारने में विफल रहे हैं। उन्होंने इंस्टिट्यूट की समस्या के लिए सुप्रीम कोर्ट के स्टे को दोषी ठहराया है। इंस्टिट्यूट में पढ़ाई कर रहे 20 साल के एक छात्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, 'हमने यहां इसलिए दाखिला लिया था क्योंकि यह देश में अपनी तरह का पहला इंस्टिट्यूट था, लेकिन ऐसा नहीं है।'

पहले बैच के करीब 90 छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि उन्हें जिस डिग्री का वादा किया गया था, उसे अभी तक मान्यता नहीं मिली है। नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री इस इंस्टिट्यूट की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रचार करते हुए उन्होंने कई मौकों पर अपने इस 'सफल' प्रयोग का जिक्र किया था। मोदी जब पिछले साल दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में छात्रों से रूबरू हुए थे, तब उन्होंने यूनिवर्सिटी की स्थापना का क्रेडिट लेते हुए कहा था कि इसके जरिए टीचर्स एक्सपोर्ट करने में मदद मिलेगी।
बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी प्रचार में गुजरात के टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का जमकर गुण-गान किया था। उनका दावा था कि टीचर्स ट्रेनिंग के लिए तैयार पाठ्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। हालांकि इन दावों के बावजूद गांधीनगर में तीन साल पुराने इंडियन इंस्टिट्यूट फॉर टीचर एजुकेशन (आईआईटीई) को अभी तक वैधता नहीं मिल पाई है।

2011 में इंस्टिट्यूट में पहले बैच का दाखिला हुआ और उन्हें इंटीग्रेटेड बीएड और एमएड कोर्स की डिग्री का वादा किया गया था। हायर सेकेंडरी एग्जाम पास करने वाले छात्रों को यह प्रोग्राम ऑफर किया गया था। छात्रों के बीच बांटे गए एक दस्तावेज में दावा किया गया है, 'ग्रैजुएशन के बाद बीएड और एमएड कोर्स ऑफर करने वाले अन्य इंस्टिट्यूट्स के मुकाबले इस इंस्टिट्यूट के कोर्स को राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों ने तैयार किया है।' इसमें कहा गया है, 'बीएड के लिए या तो यह चार सालों का कोर्स होगा जिसमें आठ सेमेस्टर होंगे या फिर एमएड के लिए यह छह सालों का पोस्ट ग्रैजुएशन कोर्स होगा जिसमें 12 सेमेस्टर होंगे।' 'सफल उम्मीदवारों को कोर्स खत्म होने के बाद बीएससी/बीए/बीएड और एमएसी/एमए/एमएड की डिग्री दी जाएगी।'

इंस्टिट्यूट सूत्रों ने माना कि शुरुआती फेज में ही कोर्स चलाने के लिए नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की मंजूरी नहीं थी। सूत्र ने बताया, 'सचाई तो यह है कि एनसीटीई ने ऐसे इंटीग्रेटेड कोर्स के लिए कोई नियम भी नहीं बनाया था।' उन्होंने बताया कि अब इस पाठ्यक्रम को लेकर पॉलिसी फ्रेमवर्क पर काम किया जा रहा है।

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